Kartik Purnima 2024 | कार्तिक पूर्णिमा 2024 : आस्था, प्रकाश और पवित्रता का अद्भुत संगम

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कार्तिक माह की पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह दिन न केवल आस्था और विश्वास का प्रतीक है, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी है जो देशभर के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। वाराणसी जैसे पवित्र स्थलों पर इस दिन को “देव दीपावली” के रूप में भी मनाया जाता है।

पवित्र स्नान और पूजा का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा का एक महत्वपूर्ण पहलू पवित्र नदियों में स्नान है। गंगा, यमुना, गोमती, कावेरी जैसी नदियों में स्नान करने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से गंगा नदी के किनारे स्थित काशी (वाराणसी) में इस दिन का आयोजन बहुत भव्य रूप से होता है। वाराणसी में लाखों दीपकों से घाटों को सजाया जाता है, जो दृश्य अत्यंत मनमोहक होते हैं।

देव दीपावली : वाराणसी में विशेष आयोजन

वाराणसी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन “देव दीपावली” का आयोजन होता है। यह एक अद्भुत दृश्य होता है जब लाखों दीपकों से घाटों को सजाया जाता है और श्रद्धालु उन दीपों के साथ पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन काशी में विशेष पूजा, आरती और भव्य भक्ति कार्यक्रम होते हैं। विश्वभर से पर्यटक और श्रद्धालु इस दृश्य का आनंद लेने के लिए आते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?

1. धार्मिक कारण:
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है। यह दिन कई पौराणिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है:

  • भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार: पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था और सृष्टि को महाप्रलय से बचाया था।
  • त्रिपुरासुर वध: भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिससे देवताओं ने दीप जलाकर इस दिन को उत्सव के रूप में मनाया। यही कारण है कि इसे “देव दीपावली” कहा जाता है।
  • गुरु नानक जयंती: सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म भी इसी दिन हुआ था। इस कारण सिख धर्म के अनुयायी इसे प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं।

2. आध्यात्मिक महत्व:
कार्तिक पूर्णिमा को आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का दिन माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना, दान-पुण्य करना और व्रत-पूजा करना विशेष पुण्यदायी माना गया है।

3. सांस्कृतिक महत्व:
इस दिन गंगा घाटों और अन्य तीर्थ स्थलों पर दीपदान और भव्य आरतियां आयोजित की जाती हैं। वाराणसी की “देव दीपावली” तो विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह पर्व भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।

4. पर्यावरणीय महत्व:
इस दिन नदियों और जल स्रोतों की पवित्रता का संदेश दिया जाता है। दीपदान और पूजा के दौरान पर्यावरण संरक्षण की परंपरा भी स्थापित की गई है।

5. सामाजिक महत्व:
कार्तिक पूर्णिमा दान और सेवा का दिन है। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करना शुभ माना जाता है। यह समाज में एकता और सहयोग का प्रतीक है।

अस्वीकरण (Disclaimer)
यह लेख कार्तिक पूर्णिमा के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को समझाने के लिए लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और यह समय-समय पर बदल सकती है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी धार्मिक गतिविधि या परंपरा के पालन से पहले स्थानीय विशेषज्ञों या धार्मिक गुरुओं से परामर्श करें। इस लेख में दी गई जानकारी की सटीकता के लिए प्रकाशक की कोई जिम्मेदारी नहीं है। पाठक अपनी आस्था और विवेक के अनुसार निर्णय लें।


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