Govardhan Puja 2024 : गोवर्धन पूजा प्रकृति प्रेम और समर्पण का पावन उत्सव | गोवर्धन पूजा कब है ? | गोवर्धन पूजा की विधि | Govardhan Puja की पौराणिक कथा

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गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और उल्लासपूर्ण पर्व है, जो दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। इसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पौराणिक कथा से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने गोकुलवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। गोवर्धन पूजा न केवल इस अद्भुत लीला का स्मरण करती है बल्कि पर्यावरण, प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति कृतज्ञता और समर्पण का प्रतीक भी है।

प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस बार गोवर्धन पूजा का पर्व 02 अक्टूबर (Govardhan Puja Date 2024) को है।

2024 में गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja Date 2024) कब है?

पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 1 नवंबर 2024 को शाम 06:16 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन 2 नवंबर को रात 08:21 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर 2 नवंबर 2024 को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाना शुभ रहेगा।

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा

प्राचीन कथा के अनुसार, जब गोकुलवासियों ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर इंद्र देव की बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू की, तो इंद्र देव ने इसे अपना अपमान समझा और गोकुल पर मूसलधार बारिश कर दी। गोकुलवासी भयभीत होकर श्रीकृष्ण के पास गए और उनसे सहायता की प्रार्थना की। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें आश्वासन दिया और अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। गोकुलवासी पर्वत के नीचे आकर सुरक्षित हो गए, और सात दिनों तक श्रीकृष्ण ने पर्वत को उठाए रखा। अंततः इंद्र देव ने अपनी हार मान ली और श्रीकृष्ण को गोवर्धनधारी का नाम मिला। यह कथा हमें बताती है कि सच्चा बल भगवान और प्रकृति के प्रति श्रद्धा में निहित होता है और सामूहिकता एवं सहयोग से हर आपदा का सामना किया जा सकता है।

गोवर्धन पूजा का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व

गोवर्धन पूजा के महत्व को समझना हमारे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की ओर लौटने जैसा है। इस पूजा का हमारे जीवन में कई स्तरों पर प्रभाव हैं।

  1. प्रकृति और पर्यावरण के प्रति सम्मान: गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा के माध्यम से प्रकृति के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है। यह हमें सिखाता है कि पृथ्वी, जल, वनस्पति और सभी जीव हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, और हमें उनके प्रति आदरभाव रखना चाहिए।
  2. पशुधन का महत्व: भारतीय कृषि जीवन में गाय, बैल जैसे पशुओं का महत्व अत्यधिक है। गोवर्धन पूजा के दिन गायों को विशेष रूप से सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। यह पशुपालन और कृषि के महत्व को दर्शाता है, जो हमारे ग्रामीण जीवन और अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।
  3. सामूहिकता और सामाजिकता: गोवर्धन पूजा हमें सामूहिकता और सहयोग का संदेश देती है। इस दिन परिवार और समुदाय मिलकर पूजा करते हैं, अन्नकूट भोग लगाते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जिससे आपसी सौहार्द और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है।

गोवर्धन पूजा की विधि

गोवर्धन पूजा की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। इसमें गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक स्वरूप बनाया जाता है, जिसे लोग श्रद्धा से सजाते हैं। गोवर्धन की मूर्ति के चारों ओर दीपक जलाए जाते हैं और विभिन्न पकवान अर्पित किए जाते हैं। पूजा विधि निम्न प्रकार है:

  1. गोबर से गोवर्धन पर्वत का निर्माण: गोबर से गोवर्धन पर्वत का रूप बनाकर उसके पास छोटे-छोटे ग्वाल-बाल, गायें और श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र को रखा जाता है।
  2. दीप प्रज्वलित करना: पर्वत के चारों ओर दीप जलाए जाते हैं, जिससे चारों ओर उजाला और आनंद का वातावरण बनता है।
  3. अन्नकूट भोग: इस दिन अन्नकूट का आयोजन होता है जिसमें विभिन्न पकवान जैसे खीर, चावल, सब्जियां, मिठाइयाँ आदि बनाए जाते हैं और भगवान को भोग लगाकर फिर प्रसाद रूप में वितरित किए जाते हैं।
  4. गायों की पूजा: विशेष रूप से गायों को सजाया जाता है, उनके सींगों पर रंग-बिरंगे कपड़े बांधे जाते हैं और उन्हें विशेष भोजन कराया जाता है।

अस्वीकरण (Disclaimer)
इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। यह किसी विशेष धार्मिक परंपरा या मान्यता का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी व्यक्तिगत आस्था और मान्यताओं के अनुसार पूजा विधियों का पालन करें और किसी भी महत्वपूर्ण धार्मिक क्रियाकलाप के लिए योग्य धार्मिक गुरु या विशेषज्ञ से सलाह लें। लेखक या प्रकाशक किसी भी जानकारी की सटीकता या पूर्णता के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।


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