Bhai Dooj 2024 : भाई दूज भाई-बहन के अनमोल रिश्ते का पर्व | जानें तिथि, शुभ मुहूर्त,पूजा विधि और तिलक करने का सही टाइम
भाई दूज भारतीय परंपराओं और संस्कृतियों में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला पर्व है, जो भाई-बहन के प्यार, सुरक्षा और सामंजस्य के अटूट संबंध का प्रतीक है। यह पर्व दिवाली के ठीक दो दिन बाद मनाया जाता है और रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के रिश्ते को और भी गहरा बनाने का अवसर है। इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे पश्चिम बंगाल में इसे ‘भाई फोंटा’ कहा जाता है, तो महाराष्ट्र और गोवा में ‘भाऊ बीज’ के नाम से जाना जाता है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाने वाला भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है।
भैया दूज का शुभ मुहूर्त कब है? (Bhai dooj 2024 muhurat)
पंचांग के अनुसार द्वितीय तिथि का आरंभ 2 नवंबर रात 08 बजकर 21 मिनट है। द्वितीया तिथि समाप्त 3 नवंबर रात 10 बजकर 05 मिनट है। ऐसे में भाई दूज का पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा।
भाई दूज पूजा का शुभ मुहूर्त (Bhai dooj puja time) :
भाई दूज पूजा का समय 3 नवंबर सुबह 11 बजकर 45 मिनट से लेकर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
भाई दूज तिलक लगाने का मुहूर्त (Bhai dooj tilak muhurat) :
भाई दूज पर तिलक लगाने का समय 3 नवंबर की दोपहर 1:10 मिनट से दोपहर 3:22 मिनट तक है. ऐसे में 3 नवंबर को भाई को तिलक करने के लिए 2 घंटे और 12 मिनट का शुभ मुहूर्त मिल रहा है।
भाई दूज का पौराणिक महत्व
भाई दूज से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें प्रमुख है यमराज और उनकी बहन यमुनाजी की कथा। मान्यता है कि यमराज एक दिन अपनी बहन यमुना के घर आए, तब यमुनाजी ने उनका स्वागत किया, उन्हें भोजन कराया और तिलक करके उनकी लंबी उम्र की कामना की। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने अपनी बहन को वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे यमलोक का भय नहीं रहेगा और उसकी उम्र लंबी होगी।
इसी मान्यता के चलते भाई दूज का पर्व मनाने की परंपरा है, जिसमें बहनें अपने भाइयों के लिए तिलक कर उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं, और भाई अपनी बहनों को स्नेह और सुरक्षा का वचन देते हैं।
भाई दूज का मनाने का तरीका
भाई दूज के दिन बहनें विशेष रूप से तैयार होती हैं और भाई को अपने घर पर आमंत्रित करती हैं। भाई के स्वागत के लिए वे एक थाल सजाती हैं, जिसमें तिलक के लिए सिंदूर, चंदन, अक्षत (चावल), दीपक, मिठाई और नारियल रखती हैं। इसके बाद, बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक करती हैं, अक्षत लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई भी इस अवसर पर बहन को उपहार देते हैं, जो उनके प्रेम और आशीर्वाद का प्रतीक होता है।
यह परंपरा केवल हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि जैन और सिख परिवारों में भी प्रचलित है, जहाँ भाई-बहन मिलकर इसे उत्साह और प्रेम के साथ मनाते हैं।
विभिन्न राज्यों में भाई दूज की परंपराएं
भारत के अलग-अलग राज्यों में भाई दूज को अलग-अलग नाम और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।
- उत्तर भारत में इसे ‘भाई दूज’ के नाम से जाना जाता है, जहाँ बहनें भाइयों के लिए तिलक करती हैं और विशेष पकवान बनाती हैं।
- पश्चिम बंगाल में इसे ‘भाई फोंटा’ कहते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए उन्हें तिलक लगाती हैं और प्रार्थना करती हैं।
- महाराष्ट्र में इसे ‘भाऊ बीज’ कहा जाता है, और बहनें भाइयों को तिलक करके उनकी सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। यहाँ भाई अपनी बहनों को उपहार स्वरूप कपड़े या पैसे भेंट करते हैं।
- नेपाल में इसे ‘भाई टिक्का’ कहते हैं, जो भाई दूज का ही रूप है। यहाँ बहनें भाइयों को पाँच रंगों से तिलक करती हैं और भव्य तरीके से पर्व मनाती हैं।
आधुनिक समय में भाई दूज का महत्व
आज के समय में, जब लोग व्यस्तता और आपाधापी में रिश्तों को वक्त नहीं दे पाते, भाई दूज का पर्व एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य मिलकर भाई-बहन के रिश्ते की गहराई को महसूस करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। यह पर्व न केवल भाई-बहन को करीब लाता है, बल्कि परिवार में प्रेम और सामंजस्य की भावना को भी बढ़ाता है।
वर्तमान में भाई दूज के अवसर पर, बहनें अपने भाइयों को फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से तिलक करने की रस्म निभाती हैं। यह पारंपरिक पर्व आधुनिक युग में भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना पहले हुआ करता था। भाई दूज उन रिश्तों की याद दिलाता है जो भौतिक दूरी के बावजूद अपने आप में सजीव और स्थिर हैं।
भाई दूज पर उपहारों का आदान-प्रदान
भाई दूज के दिन भाई-बहन के बीच उपहारों का आदान-प्रदान एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भाई अपनी बहन को उपहार स्वरूप कपड़े, गहने, मिठाई या पैसे भेंट करता है, जो स्नेह और कृतज्ञता का प्रतीक होता है। बहनें भी अपने भाइयों के लिए विशेष पकवान बनाती हैं और उन्हें मिठाई खिलाकर अपनी भावनाओं को व्यक्त करती हैं।
भाई दूज के अवसर पर खानपान
भाई दूज पर विशेष प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। उत्तर भारत में इस दिन मीठी सेवइयां, पूड़ी, हलवा, खीर, मठरी जैसे व्यंजन बनाए जाते हैं। बंगाल में ‘सन्देश’ और महाराष्ट्र में ‘पूरण पोली’ बनाई जाती है। बहनें इन पकवानों को अपने भाइयों के लिए बनाती हैं, जिससे उनका दिन और भी विशेष बनता है।
भाई दूज पूजा विधि:
भाई दूज के दिन बहनें विशेष पूजा विधि के माध्यम से अपने भाई की लंबी उम्र, खुशहाली और सुरक्षा की प्रार्थना करती हैं। यहां भाई दूज पर की जाने वाली पूजा विधि का विस्तृत विवरण दिया गया है:
1. पूजा की तैयारी
- भाई दूज की पूजा के लिए बहन को सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
- पूजा स्थल को स्वच्छ करके वहां एक आसन बिछाएं।
- एक पूजा थाल तैयार करें जिसमें तिलक के लिए रोली या सिंदूर, चंदन, अक्षत (चावल), दीपक, मिठाई, और नारियल रखें।
- भाई के लिए बैठने का स्थान रखें और पूजा थाल को उसी स्थान के पास रखें।
2. भाई का आमंत्रण
- भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को अपने घर आमंत्रित करती हैं। यदि भाई दूर है तो बहनें फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से यह पूजा विधि कर सकती हैं।
- भाई का स्वागत अच्छे से करें और उसे साफ आसन पर बैठाएं।
3. भाई दूज तिलक विधि
- पूजा की शुरुआत करते समय भगवान गणेश और यमराज का ध्यान करें, क्योंकि यह पर्व यमराज और उनकी बहन यमुनाजी से संबंधित है।
- भाई के माथे पर तिलक लगाएं। तिलक के लिए रोली, सिंदूर या चंदन का उपयोग किया जा सकता है।
- तिलक के बाद भाई के माथे पर अक्षत (चावल) लगाएं, जो भाई की लंबी उम्र और समृद्धि का प्रतीक है।
4. आरती और दीप जलाना
- भाई के तिलक के बाद दीपक जलाएं और भाई की आरती उतारें। आरती करते समय भगवान से भाई की खुशहाली और सुरक्षा की प्रार्थना करें।
- भाई दूज की आरती के लिए पारंपरिक मंत्रों का जाप करें, या भाई दूज की विशेष आरती करें। यह आरती भाई के जीवन में शुभता और समृद्धि लाने का प्रतीक मानी जाती है।
5. मिठाई और नारियल भेंट करना
- आरती के बाद भाई को मिठाई खिलाएं। मिठाई खिलाने का अर्थ है कि बहन भाई की जीवन में मिठास और खुशियां लाना चाहती है।
- इसके बाद भाई को नारियल भेंट करें, जो समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक होता है।
6. भाई का आशीर्वाद और उपहार
- पूजा के बाद भाई अपनी बहन को आशीर्वाद दे और अपनी श्रद्धा के अनुसार उपहार भेंट करें।
- यह उपहार भाई के स्नेह और सुरक्षा का प्रतीक होता है, जो भाई दूज की पूजा विधि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
7. भाई दूज कथा सुनना
- तिलक और आरती के बाद भाई दूज की कथा सुनने की परंपरा है। यह कथा यमराज और यमुनाजी के भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक मानी जाती है और इसके माध्यम से भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूती मिलती है।
- कथा के माध्यम से भाई-बहन दोनों एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों और स्नेह को समझते हैं।
विशेष बातें
- पूजा विधि पूरी होने के बाद भाई-बहन साथ में भोजन करें, क्योंकि यह भाई दूज की परंपरा का हिस्सा है।
- बहनें विशेष पकवान बनाती हैं और भाई के साथ इसे साझा करती हैं। यह भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक होता है और रिश्ते को मजबूत बनाता है।
भाई दूज की यह पूजा विधि न केवल भाई-बहन के रिश्ते में मजबूती लाती है, बल्कि उन्हें एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों को समझने और निभाने का भी मौका देती है।