UPPSC Exam Controversy | प्रयागराज में छात्रों का प्रदर्शन जारी : UPPSC ने दी सफाई, परीक्षा दो दिन में कराने की दी वजह | नॉर्मलाइजेशन (Normalization) पर आयोग का स्पष्टीकरण
प्रयागराज : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा आयोजित होने वाली आगामी UP-PCS और RO/ARO परीक्षाओं को लेकर छात्रों का विरोध बढ़ता जा रहा है। छात्रों की प्रमुख मांग है कि परीक्षाएं एक ही दिन और एक ही समय पर आयोजित की जाएं, ताकि सभी अभ्यर्थियों को समान अवसर मिल सके और परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे। इसके साथ ही छात्रों का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया से उनके परिणामों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
छात्रों की प्रमुख मांगें:
छात्रों का कहना है कि यदि परीक्षाएं दो दिनों में आयोजित होती हैं, तो इसका प्रभाव उनके परिणामों पर पड़ता है, खासकर नॉर्मलाइजेशन के चलते। उनका मानना है कि यदि एक ही दिन में परीक्षा आयोजित की जाए तो नॉर्मलाइजेशन का मामला नहीं आएगा और सभी छात्रों को समान अवसर मिलेगा। छात्रों ने यह भी दावा किया कि अलग-अलग तारीखों पर परीक्षा आयोजित होने से कई बार न्याय में भेदभाव हो सकता है, क्योंकि परीक्षा के अलग-अलग सेट्स और अलग-अलग परिस्थितियाँ हो सकती हैं।
UPPSC का स्पष्टीकरण:
छात्रों के बढ़ते विरोध और नॉर्मलाइजेशन पर चिंता जताए जाने के बाद, UPPSC ने अपना पक्ष स्पष्ट किया है। आयोग ने कहा कि “परीक्षाएं दो दिन में आयोजित करने का निर्णय” छात्रों की संख्या और व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
- परीक्षाओं की संख्या और व्यवस्थाएं: UPPSC का कहना है कि लाखों छात्रों के लिए एक ही दिन में परीक्षा कराना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। परीक्षा केंद्रों की सीमित संख्या और व्यवस्थाओं के कारण, परीक्षा को दो दिनों में बांटना आवश्यक था।
- नॉर्मलाइजेशन पर आयोग का स्पष्टीकरण: UPPSC ने यह भी कहा कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया सभी छात्रों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए लागू की जाती है, खासकर जब परीक्षा अलग-अलग दिनों में आयोजित होती है। आयोग ने बताया कि नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अलग-अलग दिनों में दिए गए प्रश्नपत्रों के बीच कोई भी असमानता न हो। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी छात्रों के अंक समान पैमाने पर मापे जाएं, ताकि किसी को भी अनावश्यक नुकसान न हो।
नॉर्मलाइजेशन क्या है?
नॉर्मलाइजेशन एक गणना प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य परीक्षाओं के विभिन्न दिनों के पेपरों की कठिनाई के अंतर को संतुलित करना है। जब अलग-अलग दिनों में परीक्षा होती है, तो विभिन्न दिनों के पेपर की कठिनाई में अंतर हो सकता है। नॉर्मलाइजेशन यह सुनिश्चित करता है कि सभी छात्रों के अंकों को समान पैमाने पर मापा जाए, चाहे उनका पेपर किसी भी दिन हो। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि सभी छात्रों को समान अवसर मिले और कोई भी छात्र असमान रूप से प्रभावित न हो।
छात्रों की प्रतिक्रिया:
हालांकि, छात्रों ने आयोग के स्पष्टीकरण को स्वीकार नहीं किया है। उनका कहना है कि यदि परीक्षा एक ही दिन में होती तो नॉर्मलाइजेशन की आवश्यकता नहीं पड़ती। छात्रों का मानना है कि “एक समय, एक दिन” पर परीक्षा आयोजित करने से न सिर्फ निष्पक्षता बनी रहती है, बल्कि नॉर्मलाइजेशन जैसी प्रक्रिया से बचा जा सकता है। छात्रों का यह भी कहना है कि नॉर्मलाइजेशन उनके परिणामों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि विभिन्न परिस्थितियों में परीक्षा देने वाले छात्रों के अंक तुलनात्मक रूप से अलग हो सकते हैं।